सरकारी विभागों में स्मार्ट मीटर लगाना बन सकती है बड़ी चुनौती ,जंडियाला डिवीजन में सरकारी विभाग आधे करोड़ रुपये से ज्यादा डिफाल्टर ।
जंडियाला गुरु कुलजीत सिंह
सैकड़ों करोड़ रुपये की बिजली की खपत के बावजूद लंबित बकाया चुकाने में सरकारी विभागों की ओर से बार-बार देरी के बाद, पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) जल्द ही सभी सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड मीटर लगाएगा। इस कदम का उद्देश्य पीएसपीसीएल के घाटे में कटौती करना और “यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी विभाग उपलब्ध धन के अनुसार बिजली का उपभोग करें”। ऐसे हालात में जहाँ सरकारी विभाग पहले ही लाखो की बिल की।अदायगी ना होने से डिफाल्टर है उनके लिए 1000 रुपये एडवांस और प्री पेड मीटर गले की हड्डी बन सकते है । जंडियाला शहर में जंडियाला पुलिस चौकी की बिजली भी कुंडी कनेक्शन के सहारे चल रही है । वही दूसरी ओर देखा जाए कि पंजाब सरकार के सरकारी विभाग कोई भी ऐसा नही है जो बिल की।अदायगी ने डिफाल्टर ना हो अकेले जंडियाला डिवीजन में बिजली विभाग की सरकारी विभागों की 52 लाख 84हज़ार और 876 रुपये की लेनदारी है ।जिनमे पंजाब वाटर सप्लाई के टयूबवेल नंबर 4 की 467400 रुपये ,ट्यूबवेल नंबर 3 की 926035 रुपये ,कारज साधक (नगर कौंसिल जंडियाला गुरु )737000 ,नगर कौंसिल जंडियाला 1190000 ,वाटर सप्लाई सब डिवीजन जहांगीर 316882 रुपये ,गांव वडाली डोगरा 354269 रुपये ,गांव मानावाला 399584 रुपये ,जंडियाला पुलिस स्टेशन 591290 रुपये ,मार्किट कमेटी 213000 ,ई ओ नगर कौंसिल 184000 ,पब्लिक हेल्थ सेंटर गहरी मंडी 184000 ,बी डी पी ओ ऑफिस जंडियाला गुरु 129000,सरकारी एलिमेंटरी स्कूल मोहल्ला शेखपुरा 490000 रुपये ,प्राइमरी मेडिकल हैल्थ सेंटर 451000 रुपये और सरकारी सीनियर सैकंडरी स्कूल मानावाला की 122000 रुपये बिजली विभाग अदा करने है ।जिसके चलते इन सरकारी विभागों की जंडियाला डिवीजन में 52 लाख 84 और 876 रुपये के देनदार हैं ।पीएसपीसीएल के एक अन्य अधिकारी ने कहा: “एक साधारण मीटर की कीमत 550 रुपये से 1,500 रुपये के बीच है, जबकि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 5,500 रुपये से 7,000 रुपये के बीच है। सरकार शुरू में लागत वहन करेगी, लेकिन इसे पांच वर्षों में उपभोक्ताओं से लिया जाएगा।’ आपूर्ति के अंतर्गत आती हैं।इस बीचपीएसपीसीएल के एक अन्य अधिकारी ने कहा: “एक साधारण मीटर की कीमत 550 रुपये से 1,500 रुपये के बीच है, जबकि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 5,500 रुपये से 7,000 रुपये के बीच है। सरकार शुरू में लागत वहन करेगी, लेकिन इसे पांच वर्षों में उपभोक्ताओं से लिया जाएगा।’ आपूर्ति के अंतर्गत आती हैं।इस बीच सरकारी विभागों का दावा है कि उनके पास “बिलों को साफ़ करने के लिए नियमित रूप से आवंटित” पर्याप्त धनराशि नहीं है।ऑल-इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता वीके गुप्ता ने कहा, “चूंकि पंजाब सरकार उद्योग, कृषि या घरेलू उपभोक्ताओं सहित अधिकांश उपभोक्ताओं को मुफ्त या सब्सिडी वाली बिजली की आपूर्ति कर रही है, इसलिए उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि उपभोक्ताओं को पीएसपीसीएल को बचाने के लिए समय पर अपना बकाया चुकाना चाहिए।” .पीएसपीसीएल इंजीनियरों की सबसे बड़ी संस्था पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन ने भी इस कदम का समर्थन किया है और पहले से ही मांग कर रही है कि सरकारी विभागों को समय पर बकाया चुकाना चाहिए। उन्होंने कहा, ”प्री-पेड मीटर लगाना सही दिशा में एक कदम है।”वही दूसरी तरफ प्री पेड मीटर का सरकारी विभागों में चलने में कामयाब हो पाएंगे या नही यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा ।
जबकि घरों में स्मार्ट मीटर का आम लोगो औऱ किसान जत्थेबंदियों द्वारा पूर्ण रूप से विरोध किया जा रहा उनका कहना है कि मजदूर आदमी जो दो वक्त की रोटी के लिए जुगाड़ करता है उसके लिए प्री पेड मीटर पर बिजली सुविधा लेना उसकी बस की बात नही है ।इससे गरीब वर्ग का लोग जिनकी आर्थिक हालात कमज़ोर है उनके लिए बिजली की सुविधा एक सपना बनकर रह जायेगी ।
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