मनोज शर्मा,चंडीगढ़– 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय की हीरक जयंती को वीर स्मृति, मुख्यालय पश्चिमी कमान, चंडीमंदिर में धूमधाम और गर्व के साथ मनाया गया।
समारोह की शुरुआत छह दशक पहले अद्वितीय साहस के साथ लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान और अदम्य वीरता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। पूर्व सेना कमांडरों,थल सेनाध्यक्षों और वरिष्ठ पूर्व सैनिकों तथा पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ,लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार,पीवीएसएम,यूवाईएसएम, एवीएसएम ने श्रद्धांजलि अर्पित की,जिसके बाद हरियाणा के राज्यपाल आशिम कुमार घोष ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। इनके अलावा 1965 के युद्ध के पूर्व सैनिकों – जिनमें से कई ने व्यक्तिगत रूप से भीषण युद्धों में भाग लिया था – की श्रद्धांजलि ने अपने शहीदों के प्रति राष्ट्र की गहरी कृतज्ञता को दर्शाया।
पूर्व सैनिकों और सेवारत कार्मिकों से बातचीत करते हुए, राज्यपाल ने भारतीय सेना के शौर्य, समर्पण और प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने पंजाब,राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी कमान द्वारा निभाई गई निर्णायक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल ए बी तारापोर,परमवीर चक्र (मरणोपरांत) और कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र (मरणोपरांत) के अनुकरणीय साहस का विशेष उल्लेख किया,जिनकी वीरता और नेतृत्व की गाथाएँ पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। उन्होंने सभी रैंकों से भारतीय सेना की उत्कृष्ट परंपराओं को बनाए रखने का आह्वान किया और अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए राष्ट्र के सामूहिक संकल्प की पुष्टि की।
उन्होंने पश्चिमी कमान संग्रहालय का भी दौरा किया, जहाँ उन्हें कमान के समृद्ध सैन्य इतिहास और विरासत से अवगत कराया गया, जिसमें 1965 के युद्ध और उसके बाद के अभियानों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका भी शामिल थी। यह यात्रा राष्ट्र की सेवा में अडिग रहे सैनिकों की पीढ़ियों की विरासत, परंपराओं और बलिदानों के प्रति श्रद्धांजलि थी।
इस कार्यक्रम का समापन 1965 के सैनिकों द्वारा प्रदर्शित साहस, समर्पण और बलिदान के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि के साथ हुआ, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।