अक्ति पर्व गुड़िया की डोली गुड्डे का सेहरा मोहल्ले में मना सांस्कृतिक विवाह उत्सव सजी रंगोली गूंजे बाजे बच्चों ने निभाईं विवाह की सारी रस्में संस्कारों की पाठशाला बना शिव दुर्गा चौक
गरियाबंद_अक्षय तृतीया (अक्ति) पर्व पर शिव दुर्गा चौक, वार्ड नंबर 1 और 2 में बच्चों द्वारा पारंपरिक गुड्डे-गुड़ियों के विवाह का भव्य आयोजन किया गया जैसे-जैसे संध्या का समय हुआ, बच्चों ने घर के आंगन में आम के पत्तों से मंडप सजाया, रंगोली और चौक बनाकर सजीव विवाह की अनुभूति कराई। गुड्डे-गुड़ियों को पाटे पर बिठाया गया और विवाह की पूरी रश्में निभाई गईं जयमाला, टिकावन, बारात और चुलमाटी जैसे सभी अनुष्ठान हुए बाजे-गाजे के साथ जैसे ही बारात निकली, मोहल्ले में कुछ क्षणों के लिए लगा मानो सचमुच किसी घर की बारात निकल पड़ी हो मोहल्ले के लोगों ने पूरी तन्मयता से इस आयोजन में भाग लिया इस अवसर पर महिलाओं ने पारंपरिक पकवान तैयार किए और बड़ों ने बच्चों को टिकावन स्वरूप उपहार भी भेंट किए यह आयोजन केवल बच्चों के लिए खेल नहीं था, बल्कि संस्कृति और परंपरा को सहेजने का एक प्रयास था खास बात यह रही कि यह आयोजन सिर्फ बच्चों तक सीमित नहीं रहा—घर के बड़े-बुज़ुर्ग भी बच्चों के इस प्रयास में उत्साह के साथ सहभागी बने शिव दुर्गा चौक को स्थानीय लोग ‘गोकुलधाम’ के नाम से जानते हैं, क्योंकि यहां हर पर्व मिलजुल कर बड़े उत्साह से मनाया जाता है होली दीवाली दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी जैसे पर्वों पर मोहल्ले में 11 दिनों तक विशेष सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, जो क्षेत्र को जीवंत बनाते हैं संस्कार और संस्कृति की जीवंत पाठशाला हैं ऐसे आयोजन समाजसेवी ललित साहू ने इस आयोजन को लेकर कहा आज जब आधुनिकता के नाम पर हमारी संस्कृति और परंपराएं कहीं खोती जा रही हैं, ऐसे में बच्चों द्वारा किया गया यह आयोजन उम्मीद की एक नई किरण है ये सिर्फ खेल नहीं था, बल्कि हमारी परंपराओं को सहेजने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक माध्यम है गुड्डे-गुड़ियों का विवाह केवल मनोरंजन नहीं, एक जीवंत परंपरा है जो बच्चों को समाज, विवाह की प्रक्रिया और संस्कारों की अहमियत सिखाता है इस मोहल्ले की यही खूबी है कि यहां हर पर्व को पूरे मोहल्ले के लोग एक परिवार की तरह मनाते हैं बच्चों को देखकर लगता है कि हमारी संस्कृति अब भी सुरक्षित हाथों में है मैं विशेष रूप से उनके माता-पिता और मोहल्ले के बड़ों को बधाई देता हूँ जो इन आयोजनों को केवल ‘बच्चों का खेल’ नहीं मानते, बल्कि इसे एक सामाजिक पाठशाला की तरह समर्थन देते हैं इस आयोजन में इनकी रही प्रमुख भूमिका कनिष्का साहू ,तनिष्का साहू ,आशना सिंह ,आरुषि सिंह ,डबली साहू, लतिका निषाद, योगिता निषाद , भाविका निषाद , रुशिका सोनवानी , नमिक्षा , मुस्कान ,अंशु , विनय , एकता,लतासाहू ,सोनी साहू,स्नेहा सिंह, परी रात्रे, गोल्डी रात्रे आदि उपस्थित थे