उत्तर प्रदेश

प्रधानमंत्री का जातिगत जनगणना कराने का फैसला स्वागत योग्य: ध्रुवचंद जायसवाल

गोरखपुर (एके जायसवाल), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 30 अप्रैल दिन बुधवार को कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की कमेटी (सीसीपीए) ने ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए जाति जनगणना करने की मंजूरी दी इस निर्णय का अखिल भारतीय कलवार कलाल कलार जायसवाल महासभा व्दारा स्वागत है। जाति-आधारित जनगणना करने का फैसला ऐतिहासिक मिल का पत्थर साबित होगा। जो आने वाले समय में पिछड़ों दलितों आदिवासियों के प्रगति के द्वार खोलेगी।

सरकारी नौकरियाँ, उच्च शिक्षण संस्थानों में विश्वविद्यालय से लेकर इंजीनियरिंग डॉक्टर आईएएस आईपीएस के सर्विस में पिछड़े दलितों आदिवासियों के साथ जो भेदभाव हुआ है उस पर विराम लगेगा तथा जनसंख्या के आधार पर पूर्ण रूप से आरक्षण प्राप्त होगा। सन् 1931 के जनगणना के अनुसार पिछड़ों की आबादी 52% थी आरक्षण बहुत दिनों के बाद मात्र 27% मिला उस समय से आज तक सरकारी नौकरियों में खास करके शिक्षा के क्षेत्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों के क्षेत्र में कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के क्षेत्र में नग्ण संख्या के बराबर है किंतु यह जातिगत जनगणना ऐतिहासिक फैसला साबित होगा केंद्र सरकार शीघ्र जनगणना करने का आदेश जारी करें और 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के पूर्व जातिय जनगणना कराकर यह साबित करें कि हम पिछड़ों दलितों आदिवासियों के जनसंख्या के अनुसार सभी सुविधाएं सरकारी नौकरी से लेकर के सामाजिक कार्यों तक शिक्षण संस्थानों में स्वास्थ्य संस्थानों में प्रशासनिक सेवाओं में उनकी जनसंख्या के अनुसार केन्द्र सरकार आरक्षण देगी तभी पिछड़ों दलितों आदिवासियों का पूर्ण विकास होगा। उक्त ब्यान राष्ट्रीय महासचिव ध्रुवचन्द जायसवाल ने जारी किया।

ध्रुवचन्द जायसवाल ने कहा कि कुछ अखबारों में छपा है यूपी चुनाव से पहले शुरू हो जाएगी जाति-आधारित जनगणना हास्य पद जैसा ब्यान है इसलिए केन्द्र सरकार को खंडन करना चाहिए और यह बताना चाहिए कि शीघ्र ही जाति-आधारित जनगणना का कार्य शुरू कर दिया जाए।

देश की कई सामाजिक संगठनों ने जाति-आधारित गणना कराने में संघर्ष किया है उसी कड़ी में दो दशकों से महासभा की ओर जाति आधारित जनगणना कराई जाए माँग करता रहा हूँ देर से ही सही मोदी जी ने जाति जनगणना करने की मंजूरी दी इसके लिए तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ।

अखिल भारतीय कलवार कलाल कलार जायसवाल महासभा ने स्वागत किया है। जाति-आधारित जनगणना करने का मोदी का फैसला ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा आने वाले समय में पिछड़ों दलितों आदिवासियों के लिए सरकारी नौकरियां विश्वविद्यालय से लेकर इंजीनियरिंग डॉक्टर आईएएस आईपीएस के सर्विस में पिछड़े दलितों आदिवासियों के साथ जो भेदभाव हुआ है अब नही होगा।

सन 1931 के जनगणना के अनुसार पिछड़ों की आबादी 52 % थी आरक्षण बहुत दिनों के बाद मात्र 27% मिला उस समय भी सरकारी नौकरियों में खास करके शिक्षा के क्षेत्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों के क्षेत्र में न्यायपालिका के क्षेत्र में संख्या नगणय के बराबर है किंतु इस जातीय जनगणना का ऐतिहासिक फैसला साबित होगा।

केंद्रीय मंत्री वैण्णव ने कहा कि कुछ राज्य सरकारें जैसे तेलंगाना सहित कुछ राज्यों में जाति जनगणना पर सवाल उठाते हुए कहाकि संविधान के अनुच्छेद-246 के तहत जनगणना केंद्र सरकार का विषय है। पूर्व मे कांग्रेस की केंद्र सरकार ने जाति जनगणना नहीं कराई इसलिए तो सत्ता से बेदखल हो गई।

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