चंडीगढ

*सेना प्रशिक्षण कमान (आरट्रेक) ने 35वां स्थापना दिवस मनाया*

मनोज शर्मा,चंडीगढ़– सिद्धांत और प्रशिक्षण के लिए भारतीय सेना के ‘रणनीतिक थिंक-टैंक’, सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) ने 01 अक्टूबर 2025 को अपने 35वें स्थापना दिवस समारोह का समापन किया। इस महत्वपूर्ण अवसर ने सैन्य तैयारियों में कमान की केंद्रीय भूमिका और नागरिक समुदाय के साथ इसके गहन जुड़ाव को उजागर किया।
आरट्रेक की स्थापना 01 अक्टूबर 1991 को महू में की गई थी,जिसका उद्देश्य प्रशिक्षण और आधुनिक युद्ध के सोच विचार केंद्रित एक केन्द्रीय एजेंसी बनाना था। 31 मार्च 1993 को शिमला आने के बाद,इसकी भूमिका में बड़ी वृद्धि हुई है। अब आरट्रेक देशभर में फैले 34 श्रेणी ‘ए’प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों में संस्थागत प्रशिक्षण के उच्चतम मानकों के लिए निरंतर मार्गदर्शन देता है। अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं में भारतीय सेना को सैद्धांतिक सहायता प्रदान करना और युद्ध संचालनात्मक योजना में प्रतिद्वंदी दृष्टिकोण लाना शामिल है।
इस मौके पर सभी सैन्य रैंक और नागरिक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ आरट्रेक ने उनकी पेशेवरता और समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि आरट्रेक की सारी कोशिशें भारतीय सेना के ‘परिवर्तन का दशक’और ‘तकनीकी आत्मसात का वर्ष’पहल के अनुरूप हैं। प्रमुख उपलब्धियों को उजागर करते हुए सेना कमांडर ने बताया कि आरट्रेक 2030 तक अपने पाठ्यक्रम में 34 नई तकनीकों को शामिल करने के रास्ते पर है। इस साल 18,000 सैनिकों को उन्नत प्रशिक्षण दिया गया है और अगले वर्ष 12,000 और सैनिकों की योजना है। ड्रोन प्रशिक्षण की गति भी तेज की गई है, जिसमें हर सैनिक के हाथ में‘ड्रोन एज़ ईगल ऑन द आर्म’ के विजन के अनुरूप योजना बनाई जा रही है। उन्होंने आगे बताया कि सीओएएस प्रशिक्षण निर्देश की समयावधि द्विवार्षिक से चौवर्षिक कर दी गई है, जिससे दीर्घकालिक समरूपता सुनिश्चित हो सके। आरट्रेक द्वारा तैयार की गई पहली सीओएएस चौवर्षिक प्रशिक्षण निर्देशिका (2025–29) 01 अप्रैल 2025 को जारी की गई थी।
उच्चतकनीकी को शामिल करने के लिए, आरट्रेक ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों सहित अग्रणी संस्थानों से कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे संयुक्त अनुसंधान और इनोवेशन को बढ़ावा मिले। योजनाबद्ध युद्ध प्रक्रिया को सुधारने के लिए, विरोधाभासी सोच का उपकरण ‘रेड टीमिंग’संस्थागत स्तर पर लागू किया गया है। इस क्षेत्र में पिछले वर्ष में प्राप्त अनुभव अब अन्य दो सेनाओं के साथ साझा किए जा रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल शर्मा ने अगस्त 2025 में सेना युद्ध कॉलेज, महू में आयोजित प्रथम त्रि-सेवा संगोष्ठी ‘रणसंवाद 2025’ की सफल मेजबानी की चर्चा की, जिसमें सभी तीन सेवाओं के प्रतिभागियों ने नई पीढ़ी के युद्ध और भारतीय संदर्भ में रणनीतिक संरचना पर चर्चा की। इस वर्ष मध्य स्तर के नेतृत्व के लिए ‘स्ट्रेटेजिक फ्यूजन एंड कन्वर्जेंस कैप्सूल’का भी शुभारंभ हुआ,जिसकी भागीदारी में उच्च कमान कोर्स के अधिकारी,विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के अधिकारी,सीएपीएफ तथा प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों,थिंक टैंक एवं उद्योग जगत के सदस्य शामिल हुए,जिससे पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को राष्ट्रव्यापी दृष्टिकोण से परिचित कराया गया।
पेशेवर शिक्षा को आधुनिक बनाने और अधिकारियों को विशिष्ट भूमिकाओं के लिए तैयार करने हेतु,नवंबर 2024 में ‘प्रोजेक्ट एकलव्य ’नामक अत्याधुनिक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया।
आरट्रेक की सतत कटिबद्धता को पुनः दोहरते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल शर्मा ने कहा कि कमांड की उत्कृष्टता के अनवरत प्रयास भारतीय सेना को भविष्य के लिए तैयार रखते हैं, ‘संयुक्तता, ‘आत्मनिर्भरता’और ‘नवाचार’की नींव पर राष्ट्रीय विजन ‘विकसित भारत 2047’ को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
समारोह के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल शर्मा ने 18 विशिष्ट उपलब्धि प्राप्तकर्ताओं को आरट्रेक जीओसी-इन-सी प्रशंसा प्रमाणपत्र, जीओसी-इन-सी स्पोर्टस बैनर और तीन प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों को वर्ष के लिए वित्तीय उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए। समकालीन और भविष्य की युद्ध प्रणाली को समर्पित आरट्रेक की वार्षिक पेशेवर पत्रिका ‘पिनैकल’ के 24वें संस्करण का विमोचन भी किया गया।

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