चंडीगढ

*फिर कभी न लौट पाएं वो काले दिन:सत्य पाल जैन*

मनोज शर्मा, चंडीगढ़। देश में 25 जून, 1975 को लगाए गए आपातकाल को आज 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, परंतु वे काले दिन आज भी लाखों भारतीयों के हृदय में जीवित हैं। पूर्व सांसद एवं भारत सरकार के एडीशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने इस अवसर पर एक भावुक और तथ्यात्मक वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि आज का दिन भारतीय लोकतंत्र की दृढ़ता, और नागरिकों के साहस को याद करने तथा आने वाली पीढ़ियों को तानाशाही से सावधान करने का दिन है।
जैन ने बताया कि 12 जून, 1975 को जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द किया, तो इस्तीफा देने की अपेक्षा उन्होंने 25 जून की रात देश पर आपातकाल थोप दिया। 26 जून की सुबह ही विपक्ष के तमाम नेता गिरफ्तार कर लिए गए—अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई, चरण सिंह, देवी लाल जैसे शीर्ष नेता मीसा कानून के अंतर्गत जेल में डाले गए।
तानाशाही चरम पर थी—अपने ही दल के नेता चंद्रशेखर और कृष्णकांत भी जेल भेज दिए गए। जैन ने कहा कि हजारों लोगों की नौकरियां छिनीं, कारोबार तबाह हुए, और कई परिवार भूखमरी की कगार पर पहुंचे, फिर भी जनता ने साहस के साथ प्रतिकार किया।
सत्य पाल जैन ने बताया कि उस समय वह केवल 23 वर्ष के थे, पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव और पंजाब-चंडीगढ़ छात्र समिति के अध्यक्ष थे। 13 जुलाई, 1975 को लॉ विभाग में दाख़िले के लिए गए, तो बिना किसी कारण गिरफ्तार कर लिए गए। दिसंबर में न्यायालय ने उन्हें निर्दोष करार दिया। 26 जनवरी, 1976 को सत्याग्रह कर पुनः गिरफ्तारी दी, और रात को बिजली के करंट देकर यातनाएं दी गईं।
“एक पल को लगा कि यह रात शायद जीवन की अंतिम रात है,” जैन ने भावुक होते हुए कहा।
उन्होंने बताया कि आपातकाल में मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे, न्यायालय जेल में लगते थे, और जमानतें अवैध घोषित थीं। रेडियो सेंसरशिप के कारण जनता को केवल बीबीसी से ही सही खबरें मिल पाती थीं। देश एक खुली जेल में तब्दील हो गया था।
जनवरी 1977 में चुनाव की घोषणा हुई और जनता ने इंदिरा गांधी को करारी हार दी। जयप्रकाश नारायण का नारा “कांग्रेस को गया एक-एक वोट, हाथ की हथकड़ी, पांव की बेड़ी साबित होगा” निर्णायक सिद्ध हुआ।
इंदिरा गांधी को त्यागपत्र से पहले आपातकाल हटाना पड़ा ताकि नई सरकार उनके ही बनाए कानूनों का उपयोग उनके खिलाफ न करे।
सत्य पाल जैन ने कहा कि अब यह पूरे देश का संकल्प होना चाहिए कि कोई भी तानाशाह भविष्य में आपातकाल लगाने की सोच भी न सके।

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