किसान मज़दूर जत्थेबंदी द्वारा कृषि सुधारों के नाम किसान विरोधी 3 ऑर्डिनेंस और बिजली सोध बिल 2020 को रद्द कराने के लिए 7 सितंबर से पंजाब के डी सी कार्यलयों के आगे पक्के धरने लगाकर जेल भरो आंदोलन की करेगी शुरुआत ।
July 26th, 2020
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Post by :- Kuljit Singh Hans
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किसान मज़दूर जत्थेबंदी द्वारा कृषि सुधारों के नाम किसान विरोधी 3 ऑर्डिनेंस और बिजली सोध बिल 2020 को रद्द कराने के लिए 7 सितंबर से पंजाब के डी सी कार्यलयों के आगे पक्के धरने लगाकर जेल भरो आंदोलन की करेगी शुरुआत ।
जंडियाला गुरु कुलजीत सिंह
किसान मजदूर सँघर्ष कमेटी पंजाब द्वारा किये गए फैसलों को लिखित जानकारी देते हुए राज्य प्रधान सतनाम सिंह पन्नू और महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा कृषि सुधारों के नाम पर शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों को लागू कर निजजीकर्ण व उदारीकरण की नीति के तहत किसान मजदूर विरोधी किये गए तीन ऑर्डिनेंस व बिजली सोध बिल 2020 को रद्द कराने के लिए 7 सितंबर से पंजाब के 9 डी सी कार्यलयों के आगे पक्के धरने लगाकर जेल भरो आंदोलन की शुरुआत करेगी ।इसके तहत हर रोज़ गिरफ्तारियां दी जाएंगी ।यदि पंजाब सरकार और केंद्र सरकार हर जेलों के दरवाज़े नही खोले तो मौके पर फैसला कर तीखे एक्शन लेकर जेलो के दरवाजे खोलने के लिए सरकार को मजबूर किया जाएगा।
जेल भरो मोर्चे की तैयारियों के सबंध में 31 जुलाई तक जिला मीटिंग को मुकम्मल करने ,3 अगस्त से 10 अगस्त तक हर जिले के अंदर जनतक कन्वेंशन करने और 15 अगस्त से 30 अगस्त तक गांव में रोष मार्च ,मीटिंग कर पैम्फलेट बाँटने और दीवार पर इश्तिहार लगाकर किसान ,मज़दूर ,औरतों और युवकों को जागरूक किया जाएगा ।उनको लामबंद कर जेल लिस्टें बनाई जाएंगी। किसान नेताओं ने उक्त ऑर्डिनेंस के हक़ में अकाली दल बादल के प्रधान और भाजपा नेताओं द्वारा पंजाब के किसानो को गुमराह करने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अति भृष्ट तानाशाह ,प्रशासनिक ढांचे को पहचानने की अपील की है जो कि संविधान की धारा 14 ,19 और 21 द्वारा विचार प्रकट करने ,अलग विचार रखने ,जिंदगी जीने के निज्जी अधिकार को ख़त्म कर हरेक विरोधी को जेलों में भेजने के लिए देशद्रोही मामले दर्ज कर रही है। जिसकी मिसाल सैंकड़े बुद्धिजीवी ,लेखक ,कवि ,वकील ,पत्रकार और समाजसेवी हैं ।
कैप्टन सरकार द्वारा भी लोगों की ज़ुबान को बंद कराने के लिए कोविड 19 के बहाने 144 धारा का प्रयोग कर जनतक इक्कट्ठ पर पाबन्दी लगाना और लोगों से मोटे जुर्माने वसूल करना बर्दाश्त के काबिल नही है ।किसान नेताओं ने मोदी और कैप्टन सरकार की कड़ी निंदा करते हुए काले कानून को रद्द करने ,जेलों में बंद समाजसेवी और और बुद्धिजीवियों को रिहा करना और जनतक एकत्र पर पाबन्दी लगाना ,और गैर अमानवीय व्यवहार तहत जुर्माना वसूलने को बंद करने की मांग की है ।इसके इलावा उन्होंने ने रसायनिक कृषि मॉडल व कॉरपोरेट कृषि मॉडल को लागू करने को बंद कर मानवीय पक्ष और कुदरती पक्ष मॉडल लाया जाए ।इसके इलावा सहकारी कृषि को उत्साहित कर छोटे उद्योगों पर कृषि आधारित गांव में लोगों की पार्टनरशिप के साथ लगाई जाए ,किसान मजदूरों का ऋण खत्म किया जाए ,डॉक्टर स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करना ,10 एकड़ से ज्यादा फालतू ज़मीन को जगीरदारों और सरमायेदारों से लेने के लिए हदबन्दी कानून लागू कर लाखों एकड़ जमीन बेज़मीनो को बांटी जाए औऱ समाजिक सुरक्षा कानून के तहत हर 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के नागरिक को 10 हज़ार रुपये माहवार पेंशन दी जाए। इस मौके पर सविंदर सिंह चूताला ,जसबीर सिंह पिद्दी ,सुखविंदर सिंह सभरा ,गुरलाल सिंह पंडोरी ,गुरबचन सिंह चब्बा ,हरप्रीत सिंह सिधवां ,इंद्रजीत सिंह फिरोजपुर ,सलविंदर सिंह जलंधर ,सरवन सिंह भाऊपुर ,कुलदीप सिंह हुशियारपुर ,गुरप्रीत सिंह ,सुखदेव सिंह गुरदासपुर ,जर्मनजीत सिंह अमृतसर ,सतनाम सिंह ,फ़तेह सिंह तरनतारन ,हरबंस सिंह मोगा ,सुरिंदर सिंह फाजिल्का ,अमरीक सिंह रोपड़ हाज़िर थे।
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