
उन्होंने कहा की आज हमने सीएससी नालागढ़ से यह पहल की है और हमारा यह कदम इसलिए भी है ताकि जो भी कर्मचारी एवं चिकित्सक को वित्त के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं उनका मनोबल ऊंचा बना रहे जब एक चिकित्सक अपनी ओपीडी में जाता है।
आईसीयू में जाता है या कोर्ट में जाता है या सैंपल लेने जाता है तो उसके मन में यह भावना अवश्य होती है कि हो सकता है। उसे यह बीमारी ना हो जाए लेकिन फिर भी वह अपने तन मन से समर्पित होकर अपना कर्तव्य निभाता है। अभी तक भारतवर्ष में सबसे ज्यादा चिकित्सक अपनी जान इस बीमारी को गवा चुके हैं जब यह बीमारी चिकित्सक को होती है तो मृत्यु दर एकदम ज्यादा बढ़ जाती है।
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