
हसनपुर पलवल (मुकेश वशिष्ट) :- एमवीएन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज के तत्वधान से प्लास्टिक मुक्त भारत जन जागरण रैली का आयोजन किया गया जिसमें फार्मेसी विभाग के छात्र एवं छात्राओं ने औरंगाबाद गांव में जाकर लोगों को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान एवं उससे बचने के उपाय बताते हुए कचरे के रूप में पड़े हुए प्लास्टिक को एकत्रित करके सरकारी स्कूल में जमा कराया| प्लास्टिक एक ऐसा रसायन पदार्थ है जो हजारों वर्ष तक ज्यों का त्यों बना रहता है एवं आज के समय में उसका प्रयोग एवं प्रभाव लगातार बढ़ रहा है जो एक बहुत ही बड़ा खतरा बन कर सामने आया है| सन 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 15000 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में अपशिष्ट होता है| केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा बोतलों से आता है| सन 2015-16 में करीब 900 किलो टन प्लास्टिक बोतल का उत्पादन हुआ था एवं उत्पादन का सिर्फ 10 फीसद प्लास्टिक कचरा ही रि-साइकिल किया जाता है बाकी का 90 फीसद कचरा पर्यावरण के लिए एक खतरा साबित होता है |
रि-साइक्लिंग की प्रक्रिया भी प्रदूषण को बढ़ाती है क्योंकि रि- साइकिल किए गए प्लास्टिक कचरे में ऐसे रसायन होते हैं जो जमीन में पहुंचकर मिट्टी और भूगर्भीय जल को विषैला बना देते हैं| प्लास्टिक मानव जीवन में इस तरह शामिल हो चुका है कि मनुष्य के दिन की शुरुआत प्लास्टिक के टूथब्रश से होती है, जिस बाल्टी से वह नहाता है वह भी प्लास्टिक की होती है, जिस टिफिन में वह खाना लेकर जाता है वह भी प्लास्टिक का होता है एवं जिस बोतल में वह पानी पीता है वह भी प्लास्टिक की बनी होती है|
इस प्रकार प्लास्टिक मनुष्य के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है लेकिन प्लास्टिक मनुष्य को सहूलियत प्रदान करने के साथ साथ बहुत सी समस्याएं भी पैदा करता है| एक शोध के अनुसार पानी की बोतल को बार-बार इस्तेमाल करने से प्लास्टिक के कन पानी में घुलने लगते हैं जिससे कैंसर जैसी भयानक बीमारी होने का खतरा पैदा होता है| प्लास्टिक के प्रयोग के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा उर्वरता की कमी एवं विभिन्न प्रकार की बीमारी की समस्याएं उत्पन्न होती हैं| इन समस्याओं से बचने के लिए हम एक बार प्रयोग में आने वाली प्लास्टिक का बहिष्कार करें, पॉलिथीन की जगह जूट एवं कागज के थैलों का प्रयोग करें, पॉलिथीन को एक बार प्रयोग करने के बाद न फेंके, लोगों को पॉलिथीन से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में बताएं|
फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० तरुण विरमानी अध्यक्ष, (फाउंडेशन ऑफ हेल्थ एंड एनवायरनमेंट रिसर्च, हरियाणा राज्य) ने कहा कि हमने इस मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान प्लास्टिक मुक्त भारत के तहत आगे बढ़ाया है एवं इस प्रकार की रैलियां हम आसपास के सभी गांवों एवं शहरों में करा कर लोगों को प्लास्टिक के दुष्परिणाम एवं उनके निवारण से अवगत कराएंगे|
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० जेवी देसाई ने विभाग की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि प्लास्टिक का प्रयोग इस स्तर पर हो रहा है कि अभी भी इसके बारे में नहीं सोचा गया तो हमारे पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा|
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ० राजीव रतन ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के लिए जो भी जरूरतें होंगी हम मुहैया कराएंगे|
विभाग की सहायक अध्यापक रेशु विरमानी ने कहां की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग 80 लाख टन कचरा समुंदरों से मिल रहा है और समुंदरों से जो प्लास्टिक कचरा मिल रहा है उसका लगभग 90 फीसद हिस्सा विभिन्न नदियों से आ रहा है जिसमें से 8 नदियां एशिया की है| विभाग के सहायक अध्यापक गिरीश कुमार ने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक पृथ्वी पर कचरे के रूप में इतना प्लास्टिक है कि इस पृथ्वी को उससे 5 बार बांधा जा सकता है जो कि एक गंभीर विषय है| इस अवसर पर फार्मेसी विभाग के सहायक अध्यापक मोहित संदूजा, अश्वनी कुमार, अशोक कुमार एवं सभी अध्यापक गण विद्यार्थियों के साथ उपस्थित रहे|
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