कालका, (हरपाल सिंह) :
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व हरियाणा कान्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने व्यापारी व जन प्रतिनिधियों से वीडियों कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने फल व सब्जियों पर 1 प्रतिशत मार्केट फीस व 1 प्रतिशत एचआरडीएफ दोनों मिलाकर 2 प्रतिशत टैक्स लगाकर व पेट्रोल, डीजल व बस किराए में बढ़ोतरी करने से प्रदेश के व्यापारी, किसान व आम जनता पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया है। सब्जियों पर मार्केट फीस लगाने से जहां किसानों को नुकसान होगा वहीं दूसरी तरफ आढ़तियों पर एक ओर इंस्पेक्टरी राज को बढ़ावा मिलेगा और व्यापारी सारे दिन लेखा-जोखा में ही उलझा कर रह जाएगा। जबकि पिछली सरकार ने व्यापारी व किसान के हित में मार्केट फीस समाप्त की थी। प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहां की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेलों में भारी-भरकम कमी को देखते हुए उम्मीद थी कि सरकार पेट्रोल व डीजल के रेटों में कमी करेगी। मगर सरकार ने पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ बस किराए में वृद्धि करके जनता की जेबों में डाका डालने का काम किया है। पेट्रोल और डीजल के रेट में बढ़ोतरी करने से ट्रांसपोर्ट, उद्योग धंधे, किसानों के उपयोग में आने वाली मशीनरी व ट्रैक्टरों के साथ-साथ हर जरूरत के सामान पर इसका सीधा असर पड़ेगा। प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश की 2.5 करोड़ जनता पहले ही भारी संकट व आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रही है। जनता को उम्मीद थी कि सरकार इस संकट की घड़ी में ज्यादा से ज्यादा सुविधा व रियायतें देगी। मगर सरकार ने प्रदेश की जनता को राहत देने की बजाय अपना असली चेहरा दिखाते हुए जनता पर और आर्थिक बोझ डाल कर जनता कि जेबों में डाका लाडऩे का कम किया है। जबकि देश में लॉक डाउन होने के कारण जनता के पास किसी प्रकार का रोजगार नहीं है ऐसे में सरकार द्वारा रियाातें देने की वजह जनता पर नाजायज बोझ डाला जाना जनता के साथ ज्याति करना है। प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि केंद्र व हरियाणा सरकार को किसी प्रकार के नए टैक्स ना लगाकर व टैक्सों में बढ़ोतरी ना करके इस दुख की घड़ी में जनता को राहत देनी चाहिए। जबकि यह समय महंगाई बढ़ाने का नहीं यह समय तो जनता का साथ देने का है। सरकार को सब्जी व फलों पर मार्केट फीस लगाने, पेट्रोल व डीजल के रेट में बढ़ोतरी व बस किराए में बढ़ोतरी करने के फैसले पर पुन विचार करके उस फैसले को जनता के हित में वापस लेना चाहिए।
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