मनोज शर्मा, चंडीगढ़ । चंडीगढ़ के पूर्व सांसद एवं भारत सरकार के अपर महासालिसिटर सत्य पाल जैन ने कहा है कि दूसरों को उनकी गलतियों के लिये तथा अपने द्वारा दूसरों के प्रति की गई आपतिजनक टिप्णियों के लिये क्षमायाचना करना ही सर्वोतम मानवीय विचार एवं व्यवहार है। जैन ने कहा कि समय रहते आपसी मनमुटाव यदि समाप्त हो जायें तो इससे सामाजिक संबंधों में मधुरता आती है तथा समाज में अनआवष्यक तनाव कम होता है।
जैन आज श्री दिगम्बर जैन मंदिर, सैक्टर 27 बी, चंडीगढ़ में जैन समाज द्वारा आयोजित ‘क्षमावाणी’कार्यक्रम के दौरान उपस्थित जनसमूह को मुख्यतिथि के नाते सम्बोधित कर रहे थे।
जैन ने कहा कि यदपि क्षमायाचना करना सभी धर्मों में श्रेष्ठ माना गया है परन्तु जैन धर्म ने इसे प्रतिवर्ष एक त्यौहार की तरह मनाकर, दुनिया में एक अधभुत मिसाल पेष की है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में एक कार्य करते-करते कई बार किसी मनुष्य से ऐसी बाते कह दी जाती है जिससे दूसरे की भावना आहत होती है। इसके कारण शुरू-शुरू में जो मन मुटाव होता है वो बाद में शत्रुता का रूप ले लेता है जिसका सभी पक्षों को भारी नुकसान होता है। इसलिये जैन धर्म ने क्षमायाचना की एक पर्व के तौर पर मनाकर पत्येक वर्ष में एक ऐसा अवसर दिया है जिस दिन व्यक्ति आपसी जायत्तियों के लिये क्षमायाचना करता है ताकि मनमुटाव की दुष्मनी में बदलने से पहले ही समाप्त किया जा सके।
इस अवसर पर जैन को जैन समाज की ओर से सम्मानित भी किया गया।





