जयपुर में मोहर्रम की तैयारियों में जुटा मुस्लिम समुदाय,कल थी ‘कत्ल की रात’ आज कब्रिस्तानों में ताजिए होंगे सुपुर्द-ए-खाक
जयपुर,(सुरेन्द्र कुमार सोनी) । जयपुर शहर में मोहर्रम के मौके पर मुस्लिम समाज पूरी श्रद्धा, शोक और अनुशासन के साथ तैयारियों में जुटा हुआ है। हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले इस पवित्र अवसर को लेकर पुरानी बस्ती, रामगंज, बड़ी चौपड़, चांदपोल और अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में ताजिए बनाने और सजाने का काम अंतिम चरण में है। मोहर्रम का दसवां दिन, जिसे ‘यौम-ए-आशूरा’ या ‘कत्ल की रात’ कहा जाता है, कल मनाया जाएगा। इस दिन इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की करबला में दी गई कुर्बानी को याद कर लोग शोक जुलूस निकालते हैं और ताजिए को कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाता है। ताजियों की कारीगरी, धार्मिक भावनाओं और परंपराओं का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। युवाओं की टोली दिन-रात इनकी सजावट में जुटी है। कई मोहल्लों में मातमी दस्ते नौहे और सोज़ख़्वानी के माध्यम से इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद कर रहे हैं माह के 10वें दिन शहरभर से 200 से ज्यादा छोटे-बड़े ताजियों के साथ ही सोने-चांदी के ताजिए का मातमी धुनों पर जुलूस निकाला जाएगा।
देश-दुनिया में प्रसिद्ध यह सोने- चांदी का ताजिया राजपरिवार से मिला है। इसे जयपुर के पूर्व राजा रामसिंह ने सन् 1868 मे बनवाया था। मोहल्ला महावतान निवासीयो व गुड्डू बजरी बताया कि जब राजा बीमार हुए तो सिपहसालारों ने राज दरबार का ताजिया बनवाने का मशवरा दिया। राजा ने मन्त्रत मांगी और बीमारी से उबरने के बाद सोने-चांदी का ताजिया बनवाकर राज परिवार के महावतान को संभलाया। इसे सुपुर्द-ए-खाक नहीं किया जाता। वापस इमामबाड़े में रख दिया जाता है। प्रशासन और पुलिस ने भी शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापक इंतज़ाम किए हैं। ट्रैफिक रूट डायवर्जन की योजनाएं तैयार हैं और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात रहेंगे। जयपुर में मोहर्रम केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एकजुटता, बलिदान और इंसानियत का प्रतीक बनकर उभरता है।





