द्वितीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन टोरंटो कनाडा में संपन्न हुआ, ।8 दिवसीय चलने वाले कार्यक्रम में लगभग 7 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया
August 24th, 2019 | Post by :- | 1052 Views

कुरुक्षेत्र, ( डॉ. कामराज सिंधु )   ।     हिंदी प्रचार का पहला गेटवे बना कनाडा डॉक्टर कामरा सिंधु द्वितीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन टोरंटो कनाडा में संपन्न हुआ ।8 दिवसीय चलने वाले कार्यक्रम में लगभग 7 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

हिंदी के अनेक विषयों को लेकर चर्चा की कनाडा में भारत के हाई कमीशन विकास स्वरूप ने 15 अगस्त के दिन ऑटोवा में स्वतंत्रता दिवस पर अपने व्याख्यान में हिंदी को लेकर अनेक संभावनाएं कनाडा में है पर चर्चा की भारत व अन्य देशों का एक दल 15 अगस्त को हाई कमीशन के निवास स्थान पर उनके निमंत्रण पर पहुंचा और हिंदी साहित्य को लेकर कनाडा में क्या संभावनाएं हैं हो सकती हैं पर विचार-विमर्श  किया गया और 15 अगस्त को वहां भारतीय झंडा फहरा कर हिंदी का झंडा बुलंद किया सम्मेलन के दूसरे दिन शाम को एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस से विश्व विख्यात साहित्यकार प्रोफेसर सरस्वती जोशी ने अपने विचारों से आए हुए सभी साहित्यकारों का हृदय  जीत लिया और आभार व्यक्त किया और कहा कि हिंदी विश्व के हर देश में बोले जाने वाली भाषा बन गई है कवि सम्मेलन में दिल्ली से पधारे राजेंद्र सिंह अरोड़ा और फरीदाबाद से पधारे एम एल गर्ग ने अपनी कविताओं के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया और खूब गुदगुदाया द्वितीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के तृतीय दिवस पर हिंदी सम्मेलन का आगाज हुआ जिसमें कनाडा के साथ लगभग 7 देशों के साहित्यकारों ने भाग लिया मुख्य अतिथि के रूप में भारत से डॉ मार्कंडेयआहूजा उपकुलपति गुरुग्राम विश्वविद्यालय में अपने ओजस्वी  अंदाज में अपना व्याख्यान दिया और विश्व में कहां-कहां पर हिंदी का प्रचार प्रसार किया जा सकता है और हिंदी को स्थापित किया जा सकता है पर अपने विचार रखे उनके विचारों में इतनी गहनता और इतनी गहराई दिखाई दी कि सामने बैठे जितने भी लोग उनका भाषण सुन रहे थे ऐसा महसूस हो रहा था मानो ऐसा ओजस्वी भाषण पहले किसी भी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में नहीं सुना होगा डॉ मार्कंडेय ने कहा कनाडा में हिंदी के लिए अनेक संभावनाएं हैं अगर उस पर विचार किया जाए और गहनता से अध्ययन किया जाए और विश्वविद्यालय और वहां के विद्यालयों में हिंदी के पाठ पठन पर विषय पर काम कर  लिया जाए तो वह दिन दूर नहीं जब पूरे कनाडा में हिंदी का बोलबाला होगा ।

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विशिष्ट अतिथि के रूप में कनाडा के सांसद माननीय श्रीमती सोनिया  सिद्धू जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि कनाडा जैसे देश में हिंदी को स्थापित किया जा सकता है और हिंदी की संभावनाएं बहुत अधिक है और इस पर काम करने की अधिक जरूरत है सोनिया सिंधु ने कहा कि हिंदी के प्रचार के लिए विश्व हिंदी संस्थान कनाडा और ग्लोबल हिंदी साहित्य शोध संस्थान भारत जिस प्रकार से कार्य कर रही है वह उनके लिए बधाई के पात्र हैं आने वाले समय में हिंदी के प्रचार हेतु यह संस्थाएं अगर नियमित रूप में इस प्रकार के सम्मेलन करते रहे तो हिंदी का प्रचार-प्रसार कनाडा में ही नहीं विश्व के अनेक देशों में भी इसका असर देखने को मिलेगा वहां के एमपी माननीय दीपक आनंद जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम लगातार हिंदी को कनाडा में विकास के रूप में देख रहे हैं और उस पर निरंतर कार्य कर रहे हैं यह दो संस्थाएं जो हिंदी के प्रचार हेतु लगातार दो वर्षो से कार्य कर रही है इससे आने वाले समय में कनाडा में हिंदी का अधिक प्रचार होगा और मेरा मानना है कि इस प्रकार के कार्यक्रम निरंतर चलते रहना चाहिए दोनों संस्थाओं के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर हिंदी को कनाडा में स्थापित करने पर हर संभव प्रयास करूंगा इसलिए मैंने कनाडा की संसद में यह प्रस्ताव पारित करने का बीड़ा उठाया है कि एक दिन हम हिंदी को कनाडा में स्थापित कर सकें और मैं अपना पूरा सहयोग दूंगा उन्होंने विश्व हिंदी संस्थान कनाडा और ग्लोबल हिंदी साहित्य शोध संस्थान भारत को बधाई देते हुए कहा है कि वह दिन दूर नहीं जब कनाडा में हिंदी पूर्ण रूप से स्थापित हो जाएगी और उसका भविष्य भी कनाडा में उज्जवल होगा ओर में इनका साथ दूंगा सम्मेलन के मुख्य अतिथि के रुप में पधारे मार्कंडेय जी उप कुलपति ने अपने भाषण में कहा कि यह मेरा कनाडा से पहला उद्बोधन है और और मैं इस कार्यक्रम में आकर धन्य हुआ।

मैं विश्व हिंदी संस्थान कनाडा व ग्लोबल हिंदी साहित्य संस्थान भारत का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं धन्यवाद करना चाहता हूं डॉक्टर कामराज सिंधु चेयरमैन ग्लोबल हिंदी साहित्य संस्थान के उन्होंने मुझे इस  सम्मेलन में आने का सौभाग्य प्राप्त किया विश्व हिंदी संस्थान कनाडा के चेयरमैन प्रो. सरन घई का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने हिंदी के प्रचार के लिए मेरे जैसे छोटे से कार्यकर्ता को चुनाव और मैं इस बात का यकीन दिलाना चाहता हूं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि जब तक मेरे शरीर में सांस रहेंगे हिंदी के प्रचार हेतु में कार्य करता रहूंगा उनके अभिभाषण से वहां पर बैठे सभी लोगों ने बार-बार करतल ध्वनि से उनका अभिनंदन स्वीकार किया बेल्जियम से पधारे कपिल कुमार ने बताया कि बेल्जियम में हिंदी का ज्यादा प्रचार नहीं है लेकिन संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं और अधिक से अधिक अगर कार्य बेल्जियम में किया जाए तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी का प्रसार भी अधिक हो सकता है आने वाले समय मे बेल्जियम में हिंदी को लेकर अनेक प्रकार के संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं अगर पूरे विश्व में हिंदी का स्थान तलाशी तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी यूएनओ यूनेस्को और विश्व की अनेक अन्य भाषाओं के तालमेल के साथ हिंदी का बोलबाला होगा मेरी कनाडा यात्रा के दौरान मेरी फ्लाइट में जो को पायलट थी वह भी हिंदी में बोल रही थी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था कि हिंदी को अब अधिक तवज्जो दी जा रही है अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में पधारे डॉ अनीता कपूर जो अमेरिका में रहती हैं जो लगभग 30 वर्षों से हिंदी की सेवा में कार्यरत हैं उनके व्याख्यान में हिंदी की अमेरिका में क्या स्थिति है और क्या संभावना है पर चर्चा की अपने उद्बोधन में कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से सदा ही हिंदी और उसका प्रभाव अधिक होता है यह माना जा सकता है हिंदी को अगर विश्व की भाषा के रूप में स्थापित करना है तो हमें सब भारतीय लोगों ने हिंदी और भारतीय संस्कृति को  विश्व के विश्व के अनेक देशों में इसका प्रचार करना होगा इस प्रकार के आयोजनों से सदा ही हिंदी का प्रभाव अधिक हुआ है और प्रचार भी अधिक हुआ है सम्मेलन का उद्देश्य केवल हिंदी के प्रचार हेतु ही है और देश-विदेश से आए सभी साहित्यकारों ने अपने व्याख्यान में अपने अभिभाषण में हिंदी को अधिक से अधिक प्रचार के माध्यम से विश्व के अनेक देशों  तक पहुंचा जाए इस प्रकार के कार्यक्रम होने चाहिए।

आज यूट्यूब ट्विटर और फेसबुक आदि पर भी हिंदी का अधिक से अधिक प्रचार हो रहा है हिंदी की बड़ी क्रांति आ सकती है क्योंकि हिंदी अब अधिक से अधिक बोली और लिखी जाने वाली भाषा बन गई है हिंदी सम्मेलन में जो भी कनाडा से साहित्यकार कवि पधारे उन्होंने हिंदी को लेकर अनेक संभावनाओं का बाजार कनाडा में बताया है हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए और हिंदी के लिए काम करती रहेगी ऐसे उन लोगों की मंशा थी ऐसी उनकी सोच थी ग्लोबल हिंदी के प्रचार हेतु विश्व में अनेक देशों में ऐसी संस्थाओं को स्थापित किया जा सकता है जो हिंदी के प्रचार के लिए अपने अपने वतन और अपने अपनी जगह पर हिंदी की प्रचार किया जा सके ग्लोबल हिंदी साहित्य संस्थान के चेयरमैन डॉक्टर कामराज सिन्धु ने कहा कि यह संस्था हिंदी के प्रचार हेतु कार्य करती है और करती रहेगी आने वाले समय में भी अन्य देशों में इस प्रकार के सम्मेलन करवाती रहेगी क्योंकि भारत की संस्कृति साहित्य को पूरे विश्व में मानते हैं यह संस्था हिंदी के प्रचार के लिए ही बनी है और यह संस्था अन्यदेशों के साथ मिलकर  इस प्रकार के कार्यक्रम करती है।

इस सम्मेलन में जिन जिन साहित्यकारों ने भाग लिया उसमें प्रोफेसर प्रतिमा मुदलियार जी डॉ पुष्पा जी डॉ गायत्री आशीष चिंचोलकर डॉ अनीता कपूर डॉ अंजू आहूजा राजेंद्र सिंह अरोड़ा एम एल गर्ग कपिल कुमार बेल्जियम प्रोफेसर सरस्वती जोशी फ्रांस विनोद भल्ला मुंबई अभिनव भाई कनाडा अनिल शुक्ला जी कनाडा निरजा शुक्ला जी कनाडा भारती शर्मा जी विशाखापट्टनम मनीष वत्स जी,विक्की चोपड़ा बघेल जी आचार्य संदीप त्यागी जी कनाडा डॉक्टर साधना जोशी कनाडा नारायण सेवा समिति के अध्यक्ष भटनागर जी कनाडा , देश विदेश के अन्य साहित्यकारों ने इस सम्मेलन में भाग लिया और अपने अपने विचार रखे इस प्रकार के आयोजन और कार्यक्रमों से निश्चित ही हिंदी अपने मुकाम पर पहुंचेगी और विश्व में अपना स्थान बनाएगी जय हिंद जय भारत ।

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