चंडीगढ़ (मनोज शर्मा)चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा कूड़े की समस्या से निजात पाने के लिए बेसक हजारों करोड़ों रुपए पानी की तरह बह दिए गए परंतु चंडीगढ़ के डड्डू माजरा डंपिंग ग्राउंड की स्थित दिन प्रति दिन काफी दयनीय होती जा रही है। यहां पर कूड़े का सही से निदान न होने के कारण जहा यहां पर कूड़े के ऊंचे ऊंचे पहाड़ों ने एक विकराल रूप धारण कर लिया हैं। इन ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से उठने वाली भयवान दुर्गंध की कल्पना करने से ही रूह कांप उठती है,उनका सोचो जो नन्हे नन्हे बच्चों के साथ मजबूरी में यहां अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन लोगों का जीवन आज किसी नरक से कम नही,ऐसे में इलाकावासी जाए तो जाए कहा,आज इन लोगो की सुध लेने वाला कोई नही,कहां तो इस क्षेत्र से डंपिंग ग्राउंड की वहां से हटाने की बातें लंबे अर्से से चल रही थी,निगम की कार्य प्रणाली से ऐसा प्रतीत होता हैं,यहां से डंपिंग ग्राउंड कभी खत्म ही नहीं होगा।
इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए वकील शिव मूर्ति,वकील कृष्ण पाल,शिव कुमार,विवेक राणा ने कहा कि हमने गहनता से विचार किया तो धीरे धीरे परते खुलने लगी और देखते देखते इसमें कही न कही करप्शन की दुर्गंध नजर आने लगी। तथ्य को सही से जानने के लिए आरटीआई का सहारा लिया गया, जिसमे कुछ जानकारी मांगी गई है जो कि जल्द ही आ जाएगी उसके खुलासा करेंगे आखिर ये शहर में किया हो रहा हैं।
बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ डंपिंग ग्राउंड पर गीले और सूखे कचरे को अलग करने के लिए 2.33 करोड़ रुपए की लागत से नया सिस्टम लगाया जा रहा है। इस सिस्टम से रोजाना 70 टन मिक्स कूड़े को सूखा और गीला अलग किया जा सकेगा।
चंडीगढ़ शहर से हर रोज 500 टन कूड़ा निकलता है। इसमें से 300 टन गीला कूड़ा और बागवानी का कूड़ा होता है। फिलहाल नगर निगम के पास रोजाना 450 टन कूड़ा प्रोसेस करने की क्षमता है। निगम सूखे कूड़े को प्रोसेस करने का सिस्टम लगा रहा है। जिसकी क्षमता 5 टन सूखे कूड़े को प्रोसेस करने की बताई जा रही हैं। इसमें बेडशीट,गद्दे, बैग,कार सीट कवर जैसी चीजें प्रोसेस की जाएंगी। अभी तक यह सामान बिना प्रोसेस किए डंपिंग ग्राउंड में फेंका जा रहा था।
इस प्रोजेक्ट के लगने से वहा रहने वाले लोगो की समस्या तो और भी बढ़ जाएगी। क्षेत्र के लोग
के लोग इस सिस्टम को यहां लगाने के खिलाफ हैं।
एडवोकेट शिव मूर्ति, ने कहा कि नगर निगम यहां सभी बड़े-छोटे प्लांट लगा रहा है। यहां पहले लगाए गए प्लांट का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। अगर किसी दिन यह सिस्टम फेल हो गया तो यहां सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। नगर निगम को नए लगाए जा रहे प्लांट किसी दूसरी जगह लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कूड़ा निदान के लिए टेंडर दिए गए हैं उनका अनुभव एवं कार्य क्षमता की भी जांच होनी चाहिए।
कहीं ऐसा तो नहीं अपने चाहतों को टेंडर दे दिए गए,यह इसलिए संभव है क्योंकि अक्सर टेंडर अलाट के दौरान केवल रेट देखे जाते हैं, योग्यता एवं अनुभव सेकेंडरी होता है। उन्होंने कहा कि उन्हें आरटीआई के,जवाब का,आने का इंतजार है।
कृपया अपनी खबरें, सूचनाएं या फिर शिकायतें सीधे editorlokhit@gmail.com पर भेजें। इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख लेखकों, ब्लॉगरों और संवाद सूत्रों के निजी विचार हैं। मीडिया के हर पहलू को जनता के दरबार में ला खड़ा करने के लिए यह एक सार्वजनिक मंच है।
https://www.lokhitexpress.com
“लोकहित एक्सप्रेस” फेसबुक लिंक क्लिक आगे शेयर जरूर करें ताकि सभी समाचार आपके फेसबुक पर आए।
https://www.facebook.com/Lokhitexpress/
“लोकहित एक्सप्रेस” YouTube चैनल सब्सक्राईब करें :-
https://www.youtube.com/lokhitexpress
“लोकहित एक्सप्रेस” समाचार पत्र को अपने सुझाव देने के लिए क्लिक करें :-
https://g.page/r/CTBc6pA5p0bxEAg/review