*मां पार्वती ने सीता मैया का रूप बनाकर भगवान श्रीराम की परीक्षा ली*
May 14th, 2024 | Post by :- | 187 Views

चंडीगढ़ (मनोज शर्मा)पूज्य महाराज श्री जी के जन्म महोत्सव पर श्री सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 16 पंचकुला में आयोजित अखंड शिवमहापुराण कथा में सद्भावना दूत भागवताचार्य डा रमनीक कृष्ण जी महाराज ने कथा के तृतीय दिवस में पावन सती चरित्र श्रवण कराते हुए कहा के एक समय त्रेता युग में भगवान शिव मां पार्वती को संग लेकर भगवान श्रीराम के अद्भुत कथा चरित्र श्रवण करने के लिए कुंभज ऋषि के पास गए।

कई दिन तक रामनाम की चर्चा करके जब भगवान भगवान आशुतोष वापिस लोट रहे थे तो इन्हीं दिनों में महि का भार उतारने के लिए भगवान श्रीराम का प्राकट्य धरा पर हुआ था। भगवान शिव ने भगवान श्रीराम को जब प्रणाम किया,तो मां शंकित हो गई अरे जो स्त्री वियोग में तड़प रहा है मेरे पतिदेव उन्हें क्यों प्रणाम कर रहे हैं। तब मां पार्वती सीता मैया का रूप बनाकर भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने चली। परंतु जैसे ही राम के सामने पार्वती जाए प्रभु राम अपना रास्ता बदल लेते हैं, परंतु पार्वती नही मानती, पुनः उनके सामने आ जाती हैं, जब तीसरी बार उन्होंने ऐसी चेष्ठा की तब श्रीराम को अंत में कहना पड़ा हे मां! आज वन में अकेली कैसे विचरण कर रही हो? मेरे पिता वृषकेतु कहीं दिखाई नहीं दे रहे? जैसे ही ये शब्द भगवान श्रीराम ने व्यक्त किए फिर तो मां पार्वती वहां से दौड़ने लगी। परंतु जिस मार्ग पर वो जाएं उसी मार्ग पर भगवान राम उन्हें आगे दिखाई दें।
पार्वती जब भगवान शिव के पास पहुंची। वृषकेतु भगवान बोले क्यों देवी! ले आई परीक्षा मेरे राम की? पार्वती संकुचित होती हुई बोली, नही स्वामी मैं तो केवल उन्हें प्रणाम करके आई। पार्वती ने अब भी मिथ्य बोला, तब भगवान शिव के मन में संकल्प जागृत हुआ के इसने मेरे स्वामी की पत्नी भगवती सीता का रूप धारण किया है अब से मै इन्हे पत्नी नही स्वीकार कर सकता। अब इनका त्याग ही श्रेष्ठ धर्म मार्ग होगा। शिव साधना में बैठे। पार्वती के मन में प्रायश्चित की भावना जागृत हुई। पार्वती भगवान शिव के समाधि से जागृत होने की प्रतीक्षा करने लगी।
इसी समय प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ रखा जिसमे सब देवताओं को बुलाया परंतु भगवान शिव को यज्ञ में स्थान नही दिया। पार्वती पति को आज्ञा को अवज्ञा करके यज्ञ में गई। परंतु यज्ञ में भगवान शिव का अपमान देखकर मां पार्वती ने अपने ही मन के संकल्प से यज्ञ अग्नि प्रकट की, और उसी अग्नि में मां ने अपने तन की भस्मीभूत कर डीएम इस प्रकार से मां ने अपने कर्म का प्रायश्चित किया। आज कथा में अत्यधिक संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे। कल कथा में भूतभवना भगवान शिव विवाह की कथा श्रवण कराई जाएगी।

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