
अम्बाला: अशोक शर्मा।
अम्बाला शहर के समाजसेवक एवं जन सेवा संघ के प्रधान दीपक शांडिल्य ने कहा की आज बुजुर्गो की यादों और उनकी बातों को ख़त्म किया गया तब ही तो आज हम बड़ी परेशानियों का सामना कर रहे है जन सेवा संघ के प्रधान दीपक शांडिल्य ने कहा की बुजुर्गो के पुराने ज़माने में शहर के चौतरफ़ा बने जोहड़ ( तालाब) आज कब्जे व अन्य जरूरतों में लील हो गये बुजुर्गो के दिमाग़ से टककर लेकर इन जोहडो को ख़त्म किया गया इस कारण ही हम आज बरसाती पानी की बड़ी समस्या से परेशान हो रहे है दीपक शांडिल्य ने कहा अगर में 30 वर्ष पिछले समय की यादों को ताज़ा करूं और उन बातों पर प्रकाश डालू तो हम सब को पता होगा की अम्बाला शहर के चारो तरफ मंजी साहिब गुरुद्वारा के समीप व जैन कालेज के समीप, शुकुल कुंड रोड के समीप सेक्टर सात के पीछे आर्य चौक पुलिस लाइन के पास, दुर्गा नगर, में पुराने बड़े जोहड़ होते थे जिनमे बरसात का पानी जाता था आज वह जोहड़ ख़त्म कर दिए गये उन जोहडो पर निर्माण कर दिया गया
जबकि वर्षो पहले के समय में वाहनों की संख्या लोगो पर आज के मुकाबले बहुत कम थी इसलिए प्रदूषण का स्तर बहुत कम होता था प्रदूषण कम में बारिशें भी आज से 30 साल पहले इस कारण अधिक आती थी लेकिन उस समय इंजीनियर कम थे!! अगर इंजिनियर थे तो वह हमारे आप हम सभी के पुराने बुजुर्ग थे उनके दिमाग़ से ही बरसाती पानी को जोहडो ने लील करने के लिए एक मात्र उपाए शहर के चारो और जोहड़ बनाये हुए थे बरसात का पानी तुरत इन बनाये जोहडो में चला जाता था और किसी के मकान दुकान में बरसात का पानी इस लिए नहीं जाता था जोहड़ में एकत्रित हुए उस बरसाती पानी से दूध देने वाली गाये भैसे उन जोहडो में नहाती दिखाई देती थी लेकिन जिंदगी में उस समय कोई दुविधा नहीं थी दीपक शांडिल्य ने कहा की आज वही बुजुर्गो के जोहडो को ख़त्म कर दिया गया तब ही तो आज घरों में बरसाती पानी आगमन कर रहा है क्युकी हमने बुजुर्गो की यादो को ख़त्म किया तब ही आज हम बारिश से जलभराव जैसे बड़ी मुसीबतों का समाना कर रहे है उन मुसीबतों के आगे आज इंजिनियर फेल नजर आ रहे! आज नगर निगम बन गये उन निगमो में
आज इंजिनियर बड़े बड़े अधिकरी, कार्यरत है लकिन वो बरसाती पानी से शहर व घरो को डूबने से बचाने में असमर्थ है आज आप हम सबके बुजुर्गो के दिमाग़ के आगे इंजिनियर फेल नजर आ रहे है और हमारा शहर बरसाती पानी से थोड़ी सी बारिश से लबालब डूबता नजर आ जाता है आज कोई ही शहर में ऐसी जगह होगी जहा बारिश से जलभराव न हो क्युकी जोहडो पर तो कब्जे हो गये!! अगर आज भी शहर को डूबने से बचाना है तो शहर के चारों और फिर से जोहड़ स्थापित करने होंगे तब ही हम बरसाती पानी से डूबने से बच सकते है प्रशासन को भी इस और ध्यान देना चाहिए आखिर वह पुराने जोहड़ गये कहा? उन्हें आखिर कौन खा गया? इस और ध्यान देने की जरूरत है ताकि हम बरसाती पानी से आज फिर बच सके।
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