विनोबा जी के सामाजिक उत्थान के सिद्धांत आज के युग में भी सार्थक एवं प्रेरणादायक हैं : सत्यपाल जैन
September 12th, 2023 | Post by :- | 96 Views

चंडीगढ़ ( मनोज शर्मा)आचार्यकुल चंडीगढ़ द्वारा भारत रत्न आचार्य संत विनोबा भावे की जयंती पर कम्युनिटी सेंटर, सेक्टर 43 में चर्चा व त्रिभाषीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। आचार्यकुल चंडीगढ़ के अध्यक्ष केके शारदा ने कहा कि बिनोवा भावे ने पूरे भारत में पदयात्रा करते हुए 22 लाख एकड़ भूमिदान में लेकर भूमिहीनों में दान कर दी। उन्हीं के सामाजिक कार्यों से प्रेरित होकर संस्था ने एमसीएम, डीएवी कालेज की छात्रा अंकिता और गवर्नमेंट कालेज सेक्टर 11 की लक्ष्मी को वित्तीय सहायता प्रदान की है। वक्ता के रूप में इतिहासकार प्रो. एमएम जुनेजा ने विनोबा जी के जीवन व सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सत्यपाल जैन अपर सॉलिसिटर जनरल ऑफ़ इंडिया ने कहा कि विनोबा जी के सामाजिक उत्थान के सिद्धांत आज के युग में भी सार्थक एवं प्रेरणादायक हैं। प्रसिद्ध कवयित्री व एमसीएम डीएवी कालेज की प्रिंसिपल डॉ. निशा भार्गव ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि विनोबा जी के जीवन सिद्धांत आज फिर से समय की मांग है।  संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम विज ने मेहमानों का स्वागत किया और मंच संचालन कविवर डॉ. अनीश गर्ग ने बखूबी निभाया।

त्रिभाषीय काव्य गोष्ठी में लगभग 40 कवियों ने विनोबा जी को कविताओं से उनके जीवन व आदर्शों को याद किया। संगीतज्ञ सोमेश ने विनोबा जी पर लिखे मधुर भजन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कवि सुभाष भास्कर ने कविता पेश करते हुए कहा “संत विनोबा भावे थे भारत रत्न। सारी दुनिया करती है शत शत नमन।” पंजाबी कवि गुरदर्शन मावी ने कहा- बड़े बड़े डाकुओं ने/पैरी हाथ लाए/विनोबा भावे जी सारेआं नूं घर मोड़ लिआए।

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प्रेम विज ने महामानव कविता में कहा-” वे मानव नहीं/महामानव थे/वे/विनोबा भावे थे।” कविवर डा. अनीश गर्ग ने कुछ यूं कहा- “खेतिहर छोटा किसान मांग रहा टुकड़ा भूदान। पुन: धरती पर आओ विनोबा भावे संत महान।” विनोद शर्मा ने कहा- “ईश्वर दर्शन पाने को छोड़ दिया घर वार/मानव जन को माने अपना सारा परिवार।” नीरू मित्तल ने कहा- “विनोबा जी ने सर्वोदय से नए आयाम खोले। शोषण मुक्त समाज का नया विचार रखा है।” इनके अलावा डॉ. दलजीत कौर, डॉ. शशि प्रभा, डॉ. कैलाश आहलुवालिया, प्रेम विज, डॉ. विनोद शर्मा, डॉ. अनीश गर्ग, प्रज्ञा शारदा, बाल कृष्ण गुप्ता, दीपक चनार्थल, गुरदीप गुल, सुभाष भास्कर, नीरू मित्तल, भूपिंदर मलिक, सुशील हसरत, उर्मिल कौशिक सखी, अलका कांसरा, सारिका धूपड़, डॉ. उमा शर्मा, डेज़ी बेदी, शीनू वालिया, शशि श्रीवास्तव, बलवंत तक्षक, संगीता शर्मा कुन्दरा, अशोक नादिर, सिरी राम अर्श, अन्नू रानी, गणेश दत्त,पूजा सैनी, संतोष धीमान, हेमा शर्मा, सुरजीत धीर, नीरू शर्मा, लाजपत राय गर्ग, नीलम त्रिखा, अश्विनी शाण्डिल्य, अंशुल ने कविताएं प्रस्तुत की।

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