
जयपुर,(सुरेन्द्र कुमार सोनी) । महानिदेशक पुलिस श्री उमेश मिश्रा की मौजूदगी में सोमवार को आरपीए में जेंडर यूनिट की स्थापना में सहयोग के लिए राजस्थान पुलिस अकादमी एवं यूएनएफपीए के मध्य महिलाओं के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी पुलिसिंग के लिए एमओयू किया गया। एमओयू पर यूएनएफपीए की भारत में रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव सुश्री एन्ड्रीया एन वोजनर एवं आरपीए निदेशक पी रामजी ने हस्ताक्षर किए। डीजीपी श्री मिश्रा एवं सुश्री एन्ड्रीया ने बटन दबाकर जेंडर यूनिट का भी शुभारंभ किया।
*साक्ष्य आधारित पुलिसिंग का मार्ग होगा प्रशस्त:
श्री मिश्रा ने राजस्थान पुलिस अकादमी और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मध्य जेंडर यूनिट की स्थापना के लिए हुए एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि इस यूनिट द्वारा पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को जेंडर समानता पर उचित प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इस यूनिट से पुलिस कर्मियों का क्षमता संवर्द्धन हो सकेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर साक्ष्य आधारित पुलिसिंग का है और आरपीए में जेंडर यूनिट की स्थापना से साक्ष्य आधारित पुलिसिंग का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों और घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है। डीजीपी श्री मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में इकाइयों गठित की गई है। उन्होंने निर्भया स्क्वेड व महिला सखी सहित महिला सुरक्षा से सम्बंधित राजस्थान पुलिस द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा निर्बाध पंजीकरण व थानों में स्वागत कक्ष निर्माण किये जाने से महिलाओं सहित कमजोर वर्गों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। साथ ही ततपरता से कार्य होने से अनुसंधान समय मे भी व्यापक कमी की आई है। महानिदेशक प्रशिक्षण श्री जंगा श्रीनिवास राव ने महिलाओं की कार्यस्थल सहित सभी स्थानों पर सुरक्षा पर बल देते हुए कहा कि जेंडर समानता के सम्बंध में व्यापक जनचेतना जागृत करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने जेंडर यूनिट की स्थापना को इस दिशा में सकारात्मक कदम बताया।
*हर महिला को हिंसा से मुक्त जीवन जीने का अधिकार:
यूएनएफपीए की भारत में रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव सुश्री एन्ड्रीया एन वोजनर ने कहा कि इस एमओयू से महिलाओं के लिए सुरक्षित और समावेशी राजस्थान के निर्माण की नींव रखी गई है।उन्होंने कहा कि इस एमओयू में महिलाओं के प्रति हर प्रकार की हिंसा को कम करने के साथ वैश्विक सतत विकास के लक्ष्यों को आगे बढ़ाना और महिलाओं एंव लड़कियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं के प्रति होने वाली घरेलू हिंसा को रोकने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यूएनएफपीए जेंडर समानता के लिए पूरी दुनिया में कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि राजस्थान पुलिस अकादमी में इस यूनिट की स्थापना से पुलिस द्वारा महिला सुरक्षा के लिए किए जा रहे कार्यों की साक्ष्य आधारित अध्ययन भी किया जा सकेगा। सुश्री वोजनर ने यूएनएफपीए की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा,”हर महिला और लड़की को हिंसा से मुक्त जीवन जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि समान वाली संस्थाओं के साथ एकजुटता से कार्य करके महिलाओं के प्रति हिंसा को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की दृष्टि से एक सुरक्षित और समावेशी राजस्थान के उद्देश्य से यह साझेदारी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि यूएनएफपीए का वर्ष 2027 तक राजस्थान में घरेलू हिंसा को दस लाख तक कमी लाना लक्ष्य निर्धारित है। आरपीए के निदेशक एवं अतिरिक्त महानिदेशक श्री पी रामजी व अतिरिक्त महानिदेशक बिपिन पाण्डे भी मौजूद रहे। यूएनएफपीए के राज्य प्रभारी दीपेश गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया।
एमओयू में पांच प्रमुख क्षेत्रों में आपसी सहयोग की बात कही गयी है:
1.पुलिस बल के प्रशिक्षण और संचालन प्रक्रियाओं में जेंडर मेनस्ट्रीमिंग को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान पुलिस अकादमी में जेंडर यूनिट की स्थापना करना।
2.पुलिस अधिकारियों और अन्य कर्मियों, विशेष रूप से विशेष जांच इकाइयों से जुड़े पुलिसकर्मियों की क्षमता का निर्माण, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराधों की संवेदनशीलता से जांच करने और जेण्डर के प्रति उत्तरदायी पुलिस सेवाओं को मजबूत करने के लिए।
3.कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 सहित जेण्डर संबंधी मुद्दों और कानूनों पर पुलिस विभाग में मास्टर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण।
4.साक्ष्य-आधारित प्रोग्रामिंग को आधुनिक बनाने और पुलिस बल की सक्रियता और संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए जेण्डर आधारित हिंसा पर अनुसंधान, अध्ययन और आकलन करना।
5.महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ जेण्डर आधारित हिंसा और हानिकारक प्रथाओं से निपटने के लिए बहु-क्षेत्रीय समन्वय को मजबूत करना।
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